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श्री मद् भागवत कथा के चौथे दिन श्री कृष्ण का प्राकट्य एवं नंदोत्सव धूमधाम से मनाया गया।

श्री मद् भागवत कथा के चौथे दिन श्री कृष्ण का प्राकट्य एवं नंदोत्सव धूमधाम से मनाया गया।

बिजयनगर (रामकिशन वैष्णव) महावीर भवन बिजयनगर में चल रही संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन श्री कृष्ण का प्राकट्य एवं नंदोत्सव धूमधाम से मनाया गया। कथा व्यास-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्रीदिव्यमोरारी बापू ने बताया कि जिसका दृष्टि पर अंकुश नहीं है उसका मन पर भी अंकुश नहीं है। व्यवहार पर अंकुश नहीं है। उसका अन्तःकरण मालिन हो जायेगा। जिसकी आंख बिगड़ती है, उसकी मन, व्यवहार जीवन बिगड़ा है। मरण बिगड़ा है। मंगलमय जीवन बनाना है तो सर्वत्र मंगलमय भगवान के दर्शन करो। मंगलमय दृष्टि रखो, मन मंगलमय बनाओ, व्यवहार मंगलमय बनाओ।
जब व्यक्ति के हृदय में भक्ति भाव जागृत हो जाता है तो वह पाप से दूर हो जाता है और प्रेम पूर्वक प्रभु के भजन में लग जाता है। सेवा में लग जाता है। सत्कार्यों में लग जाता है।राजनीति के चार चरण हैं- साम, दाम, दंड, भेद। लेकिन भगवान श्रीराम ने कहा कि- मेरी राजनीति दो ही चरणों पर खड़ी है, चार चरणों पर नहीं क्योंकि जब तक लोगों में पशुता रहेगी तब तक राजनीति भी पशु की तरह चार पग वाली होगी, लेकिन लोगों में जब मानवता निखरेगी तो राजनीति भी दो पगों वाली हो जायेगी, तब वह भी मानवता वाली राजनीति होगी- दो पग वाली राजनीति होगी। श्रीराम की राजनीति दो ही चरणों पर खड़ी है बड़ी अद्भुत बात है यह, इसलिए रामराज्य एक आदर्श शासन व्यवस्था है। समाज में देव और दानव दोनों प्रकार की वृत्तियों वाले लोग हैं, सुख तो सभी को चाहिए- कोठी, मकान, मोटरकार, बढ़िया कपड़े, बढ़िया भोजन सबको चाहिए लेकिन नीति से कमाने वाले देव हैं और अनीति से कमाने वाले दानव हैं। सुख की लालसा तो स्वाभाविक है, लेकिन पुण्य के द्वारा, सत्कर्म के द्वारा सुख प्राप्त करने से ही देवता पूजनीय हैं और गलत ढंग से सुख प्राप्ति की लालसा के कारण दानव निंदनीय हैं। कथा में भगवान् श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान श्री दिव्य सत्संग मंडल के पदाधिकारी सहित कई संख्या में भक्तजन मौजूद थे।

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