शाहपुरा में बैल पूजा: बदलते समय के साथ लुप्त होती परंपरा
शाहपुरा (कमलेश शर्मा)| गोवर्धन पूजा के अवसर पर जिले में अन्नकूट का आयोजन किया गया। इज़के पश्चात परम्परागत बैल पूजा का आयोजन किया गया। बैल पूजा के बाद जमकर आतिशबाजी के बीच बैल भड़काये गये। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही हैं। कुछ सालों पहले तक शहर के साथ ही गांवों में बैल पूजा के कार्यक्रम को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ता था, लेकिन अब किसानों के पास नाम मात्र के बैल बचे है और बैलों की जगह अब ट्रेक्टरों ने ले ली है। इसके चलते अब यह आयोजन अधिकांश जगहों पर बन्द हो गये है।
शाहपुरा|अरवड़ पंचायत के सरदारपुरा गांव में बैल पूजन |
दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर बेलों को स्नान करवा कर उनके सींगों को रंगकर उनका पारम्परिक श्रृंगार किया जाता हैं। जिसके पश्चात गांव के चौक में सभी अपने बैल लेकर पहुंचते हैं। जहां पूजा के पश्चात उनको भड़काया जाता हैं। जिसके पश्चात जमकर आतिशबाजी की जाती हैं।
इस आयोजन को देखने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचते थे। अब गांवों में यह पूजा परम्परा निभाने के लिए होती है। अधिकांश गांवों में भी अब कुछ ही बैल बचे है जिनकी रीति रिवाज के साथ पूजना अर्चना कर आतिशबाजी के बीच भड़काया गया।
वैसे तो अन्नकूट के दिन बैल पूजन की परंपरा शाहपुरा जिले के कई गांवों में वर्षो से निभाई जा रही है लेकिन अब अब यह आयोजन औपचारिकता मात्र रह गई है। यहां बेलो की जगह अब ट्रैक्टरों की पूजा की जाने लगी हैं।