बालवाटिका की 25 वीं दो दिवसीय राष्ट्रीय बालसाहित्य संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह का हुआ समापन।
रविवार, 6 अक्टूबर 2024
गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) राष्ट्रीय बालसाहित्य संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह के द्वितीय दिवस की शुरुआत 21वीं सदी का हिंदी बाल उपन्यास दशा एवं दिशा विषय पर हुई चर्चा गोष्ठी से हुआ। इस सत्र के मुख्य अतिथि शिव मृदुल, चित्तौड़गढ़, विशिष्ट अतिथि उमेश चौरसिया, अजमेर रहे, अध्यक्षता डॉ. मोहम्मद अरशद खान, शाहजहाँपुर ने की। डॉ. शकुंतला कालरा, दिल्ली द्वारा लिखित पत्र का वाचन आशा पाण्डेय ओझा ने किया तथा विषय प्रवर्तन उषा सोमानी, चित्तौड़गढ़ ने किया।
रामस्नेही सम्प्रदाय के अर्जुनराम जी महाराज के सानिध्य में समारोह के अंतिम एवं महत्वपूर्ण सम्मान सत्र की अध्यक्षता बालवाटिका के संपादक भैरूँलाल गर्ग ने की। मुख्य अतिथि नगर विकास न्यास भीलवाड़ा के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण डाड रहे। प्रबुद्ध चिंतक अरुण कुमार शर्मा, गुलाबपुरा तथा आसीन्द के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी लोकेश नागला विशिष्ट अतिथि थे। संचालन रेखा लोढ़ा 'स्मित' ने किया। अतिथियों द्वारा सरस्वती के चित्रा पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया। ईश वंदना स्वधा पुरोहित ने की।
इस अवसर पर देवेंद्र कुमार, दिल्ली को रु. 31000 की राशि सहित जयप्रकाश भारती शिखर सम्मान, डॉ. मोहम्मद साजिद खान, शाहजहाँपुर को 31000 की राशि सहित आनंद प्रकाश जैन शिखर सम्मान, डॉ. नागेश पाण्डेय 'संजय', शाहजहाँपुर को 25000 की राशि सहित वैभव कालरा स्मृति बालसाहित्य रचनाकार सम्मान, राजा चौरसिया, उमरिया पान (म.प्र.) को 11000 की राशि सहित कन्हैयालाल मत्त स्मृत बालकाव्य सम्मान तथा डॉ. शील कौशिक, सिरसा (हरियाणा) को 11000 की राशि सहित गंगादुलारी शुक्ला स्मृति बालसाहित्य रचनाकार सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त श्रीमती उषा सोमानी, चित्तौड़गढ़ (राज.), श्रीमती मीना सुब्बा, गंगटोक (सिक्किम), दिनेश विजयवर्गीय, बूँदी (राज.), बलदाऊ राम साहू, (छ.ग.), आर.पी.सारस्वत, सहारनपुर (उ.प्र.), कृष्णचंद्र महादेविया, (हि.प्र.), बिरंची नारायण दास, कांताबांजी (उड़ीसा), उमेश चौरसिया, अजमेर (राज.), इंजीनियर आशा शर्मा, बीकानेर (राज.), श्रीमती किरण सिंह, पटना (बिहार), डॉ. रमेशचंद्र गुप्त 'मिलन', मुंबई, डॉ. राकेश चक्र, मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश), किरीट गोस्वामी, जामनगर (गुजरात) को 5100 की राशि एवं स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। सभी सम्मानित साहित्यकारों को नकद राशि के अतिरिक्त प्रशस्ति-पत्र, मोमेंटो, शॉल, उपरना, माला व श्रीफल भी प्रदान किया गया। समारोह के दौरान डॉ. सूरज सिंह नेगी, डॉ. मीना सिरोला, चंद्रमोहन उपाध्याय द्वारा संपादित मैं बाबुल की परछाई, उषा सोमानी के कहानी संग्रह ऐसे हुई दोस्ती का उद्यान का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में अर्जुनराम जी महाराज ने अपने अपने उद्बोधन में कहा कि बालक हमारे भारत का भविष्य हैं, सभी साहित्यकार राष्ट्र भक्ति के भाव जगाने का कर्म करते रहे।। विशिष्ट अतिथि लोकेश नागला ने कहा कि कलम की ताकत, तलवार से ज्यादा होती है,पर इन दिनों यह बात अप्रासंगिक होती जा रही है। अब डिजिटल दौर में साहित्य को भी अपडेट होना पड़ेगा। विशिष्ट अतिथि भोपाल से आई लता अग्रवाल ने कहा कि प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करना चाहिए। साहित्य की हर विधा बाल उन्नयन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बच्चों के भावनात्मक और मानसिक विकास के लिए जरूरी है। विशिष्ट अतिथि और प्रबुद्ध चिंतक अरुण कुमार शर्मा ने बताया कि बाल स्वरूप हमें इसीलिए सुहाता है,कि वह प्रकृति के सन्निकट होता है। हम आत्ममुग्धता के दौर से बाहर आना चाहिए। मुख्य अतिथि लक्ष्मीनारायण डांड ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, गर्गजी जैसे साहित्यकार, बाल वाटिका की मशाल जगाए हुए हैं। साहित्य, संगीत और कला से विहीन व्यक्ति,पशु समान ही माना जाएगा।आज की औपचारिक शिक्षा के भरोसे बाल पीढ़ी को नहीं छोड़ा जा सकता है। बाल-साहित्य रचनाकारों को चुनौती यह हैं कि वे ऐसा बाल-साहित्य रच सके जो जो नवीन पीढ़ी को बढ़ने लायक खाद पानी हवा दे सके। अध्यक्ष डॉ. भैरूँलाल गर्ग ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी साहित्यकारों का आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम के अंत में सत्यनारायण नागर ने सभी का आभार व्यक्त किया।