विश्व कैंसर डे पर विशेष- कैंसर उपचार का नहीं मेनेजमेंट का विषय है, आयुर्वेद से लिया गया उपचार ही अधिक कारगर- चोधरी
शाहपुरा- मूलचन्द पेसवानी| नवग्रह आश्रम सेवा संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष हंसराज चोधरी ने कहा है कि आज कैंसर को लेकर समाज में जो भयावह स्थिति बताकर एलोपेथी चिकित्सा के नाम पर लोगों को डराया जा रहा है। ऐसा है नहीं। आयुर्वेद व वनस्पति विज्ञान से कैंसर का उपचार है। यह उपचार संयमित होकर समय बद्व तरीके से ही हो सकता है। वैसे कैंसर उपचार के साथ साथ मेनेजमेंट का विषय है। कैंसर को समझना जरूरी है। कैंसर के प्रकार पर जाने के बजाय निर्धारित मैनेजमेंट से उपचार किया जा सकता है। यह नवग्रह आश्रम के माध्यम से हो भी रहा है।
रविवार को विश्व कैंसर दिवस के मौके पर आश्रम में आयोजित कैंसर क्लास तथा रायला के एसकेएम स्कूल में कैंसर विषयक संगोष्ठि को संबोधित करते हुए यह बात कही।
नवग्रह आश्रम अध्यक्ष हंसराज चोधरी ने कहा कि आक्सीजन की कमी भी कैंसर को पैदा करती है। प्रदुषण भी आक्सीजन की कमी का बड़ा कारण है। सेल्स का डिसआर्डर ही कैंसर है। इसमें कोशिकाएं मरना ही भूल जाती है। इससे कैंसर में बढ़ोतरी होती जाती है। कोशिकाओं का अनियंत्रित होकर बढ़ना ही कैंसर है। दिल्ली में आज 8 लोगों में से एक को कैंसर का रोग है। जीवन पद्वति, आहार, विहार, विचार आदि इससे निर्धारित होता है।
आज समुद्र का नमक एवं रिफाईंड तेल का उपयोग घर घर हो रहा है। यह दोनो उत्पाद कैंसर के होने के बड़े कारक है। बावजूद इनका उपयोग रूक नहीं रहा है। समुद्र के एक किलो नमक में 16 ग्राम जहर है। सरकार को पता है फिर भी रोकथाम नहीं है। अमीर देशों से तेल मंगवा कर केमीकल का प्रयोग करके खाद्य तेल तैयार कराया जाता है, वो ही खाया जा रहा है। इसमें भी 19 केमीकल्स है। नमक में भी केमीकल्स है। नमक में 6 प्रकार के जहर होने से कैंसर को बढ़ावा मिलता हैं। खरपतवार को खत्म करने के नाम पर खेतों में जो वीडी साइडस का छिड़काव किया जा रहा है उससे जो उपज पैदा हो रही है, उससे कैंसर क्यों नहीं होगा। होगा तो जरूर। इनसे बचना ही उपचार है। तेल कच्ची घाणी का उपयोग में लाना चाहिए। नमक सैंधा ही प्रयोग में लाया जाना चाहिए। सिजनल एवं रीजनल ओर आॅरीजनल के सिद्वांत पर जिस क्षेत्र में हम निवास करते है वहां पर मौसम के अनुरूप् जो उत्पाद हो रहा है उसका उपयोग करना चाहिए।
नवग्रह आश्रम अध्यक्ष हंसराज चोधरी ने कहा कि आयुर्वेद सप्त धातु सिद्वांत के अनुरूप ही आहार ग्रहण करने के लिए कहता है। औज मन व शरीर के मजबूत होने का आधार है। कैंसर को लेकर भी भ्रम की स्थितियां बनी हुई है। 90 प्रतिशत कैंसर नोन एग्रीसेव है। ऐसा होेने पर 80 वर्ष की उम्र तक कैंसर रोगी जिंदा रह सकता है। 10 प्रतिशत कैंसर ही एग्रीसेव होते है। आयुर्वेद, नेचुरोपेथी, होम्योपेथी तथा एक सीमा तक रेडियेशन से कैंसर का उपचार किया जा सकता है। उपचार में धेर्य जरूरी है। उपचार तो पक्का है ही। इसी सिद्वांत पर नवग्रह आश्रम आज उपचार कर रहा है।
नवग्रह आश्रम अध्यक्ष हंसराज चोधरी ने कहा कि वैसे जीवन का कटु सत्य है। आज आज ही है। कल तो होता नहीं है। वास्तव में कल है ही नहीं, तो मृत्यु से क्यों डरा जाए। आत्म विश्वास से रोगी का जीवन बच सकता है। रोगी केंसर से मरने के बजाय उपचार के दुष्प्रभावों से मरता है। यों भी केंसर चिकित्सा के बजाय मेनेजमेंट का विषय है। पारिवारिक स्तर पर मेनेजमेंट करके कैंसर से जंग जीती जा सकती है। घर में बार बार केंसर शब्द की आवृति होने से भी कैंसर विस्तारित होता है। बार बार आवृति नहीं होनी चाहिए। अपनी इच्छा शक्ति से रोगी ठीक होता है। वह ठीक होकर हजारों को ठीक भी कर सकता है। सेल्फोस, शराब, तंबाकू, पेस्टीसाइडस ये सभी कैंसर के प्रमुख कारण है। जिनका व्यापार सरकार के नियंत्रण में है। इन पर रोक परम आवश्यक है। इनसे प्राप्त कर से अधिक खर्चा कैंसर के उपचार पर देश में हो रहा है।
नवग्रह आश्रम अध्यक्ष हंसराज चोधरी ने जोर देकर कहा कि देश के 300 जिलों में नाईट्रेट की मात्रा बहुत ज्यादा है। इसमें प्रदेश के 9 जिले भी शामिल है। भीलवाड़ा जिले की तीन तहसीलों में भू जल की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। यहां का पानी जहर बन चुका है। कैंसर रोग छुत का रोग नहीं है। इसका बैक्टिरिया, वायरस, फंगस नहीं है। यानि छुने से नहीं फैलता है। 7.5 प्रतिशत रोगी आनुवशिंकी है।
नवग्रह आश्रम का अपना सिद्वांत
नवग्रह आश्रम अध्यक्ष हंसराज चोधरी ने बताया कि नवग्रह आश्रम का कैंसर रोग के उपचार का अपना सिद्वांत है। आयुर्वेद व वनस्पति से चिकित्सा का बेहतरीन प्रयोग किया जाता है। आश्रम में रोगियों की कैंसर क्लास शनिवार व रविवार को प्रातकाल 8 बजे लगा कर कैंसर रोग को भली प्रकार से समझाया जाता है उसके आधार पर उपचार किया जाता है। प्रत्येक रोगी की जिज्ञासा का समाधान किया जाता है। उसे रोग मुक्त होने के लिए प्रेरित किया जाता है। गरीब व असहाय को निःशुल्क दवा दी जाती है। प्रत्येक रोगी को केंसर कीट व कीमो की दवा भी निःशुल्क दी जाती है।