एनजीटी के आदेशानुसार तालाब पर अवैध निर्माण ध्वस्त करने व दोषी सरपंच पर 2 करोड़ का जुर्माना बरकरार
शाहपुरा, पेसवानी | सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली के माननीय न्यायाधिपत्ति श्रीमान सजय खन्ना व दीपाकर दत्ता की बैंच ने रायला के धर्म तालाब का मूल स्वरूप लौटाने, तालाब से अवैध अतिक्रमण हटाने एवं दोषी सरपंच पर 2 करोड़ रूपये के जुर्माने के एनजीटी के आदेश को यथावत रखते हुए इस आदेश के विरूद्ध रायला सरपंच गीता देवी जाट व उसके पति जगदीश जाट द्वारा की गई अपील को खारिज कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने एनजीटी न्यायालय द्वारा दिये गये फैसले को उचित मानते हुए इससे हस्तक्षेप करने का कोई उचित आधार नहीं होना बताते हुए यह अपील खारिज की।
उल्लेखनीय है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सेंट्रल जोनल बेंच मोपाल ने रायला निवासी ओमप्रकाश सोमानी की याचिका पर धर्म तालाब रायला के भराव क्षेत्र पुराने आराजी नंम्बर 739 य क्रेचमेन्ट एरिया पुराने आराजी नम्बर 707 में हुए निर्माण को ध्वस्त करने व सरपच गीता देवी जाट व उसके पति जगदीश जाट को दोषी मानते हुए इनपर 2 करोड रूपये जुर्मना लगाते हुए तालाब को मूल स्थिति में वापस लाने का दिनांक 24.07.2023 को आदेश दिया था जिसमें तालाब से अतिक्रमण हटाने, पुलिया निर्माण में हुए राजकोष की हानि को सबंधित अधिकारियों एवं कार्यकारी एजेन्सी से वसूल करने तथा तालाब की भूमि पर हुए निर्माण कार्यों को तीन माह में ध्वस्त करने, जिला कलेक्टर के निर्देशन में कमेटी गठित कर तालाब का मूल स्वरूप लौटाने, धर्म तालाब के मूल स्वरूप को बिगाड़ने के लिए सरपंच गीता देवी जाट व उसके पत्ति जगदीश प्रसाद जाट से 02 माह में 2 करोड़ रूपये वसूल करने के साथ ही जिला कलेक्टर द्वारा एक अनुपालना रिपोर्ट रजिस्ट्रार, सेंट्रल जोन, भोपाल बेच को 06 महिने के भीतर दिनांक 15.02 2024 से पहले पेश करने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता सोमानी द्वारा अपने अधिवक्ता दीक्षा चतुर्वेदी के माध्यम से एनजीटी न्यायालय, भोपाल में धर्म तालाब को मूल स्वरूप में लौटाने हेतु अवमानना याचिका भी प्रस्तुत कर रखी है। वर्तमान में इस तालाब पेटे में अवैध रूप से सड़के बनी हुई है एवं तालाब की भूमि में पट्टे जारी किये हुए हैं तथा पेट्रोल पम्प व समारोह स्थल बना हुआ है जिनका निर्माण ध्वस्त करने व पट्टे निरस्त करने के आदेश एनजीटी द्वारा दिये गये हैं। सर्वोच्च न्यायालय एवं एनजीटी के फैसले का स्वागत करते हुए पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू ने कहा कि इससे जील जलाशयों का संरक्षण होगा तथा यह सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला तालाबों की भूमि आवंटन पर रोक लगाने में नजीर साबित होगा।