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श्री गिरिराज जी के दर्शन से भगवान् के दर्शन का फल प्राप्त होता है। = श्री दिव्य मोरारजी बापू

श्री गिरिराज जी के दर्शन से भगवान् के दर्शन का फल प्राप्त होता है। = श्री दिव्य मोरारजी बापू

बिजयनगर (रामकिशन वैष्णव) महावीर नगर तृतीय कोटा में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत सप्ताह  कथा ज्ञानयज्ञ में कथा व्यास-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि
नाम वाणी जहां, श्याम श्यामा तहाँ।
नाम वाणी निकट श्याम श्यामा प्रकट।।
गुरु महाराज द्वारा जो नाम मिला है, वह सामान्य नहीं है। अपने भीतर दैन्य होना चाहिए कि हम अपात्र हैं, मेरे ऊपर गुरु की कृपा है। जहां नाम है, रूप है, लीला है, वहां धाम दूर नहीं है।
नाम रूप लीला धाम सच्चिदानंद बिग्रहं "
भागवत का सार है, लक्ष्य की प्राप्ति है। जन्म-जन्मांतर से हम भगवान से दूर हो गये हैं, पुनः समीप्ता प्राप्त करलें, जीवन धन्य हो जायेगा।
नाम निष्ठा ऐसी होनी चाहिए, जैसे प्राण प्रिय है वैसे भगवान का नाम भी प्रिय होना चाहिए।

भगवान से प्रार्थना करना चाहिए भगवन जैसे आपने गुरु जी को माध्यम बना करके नाम से जोड़ा है,वैसे हमारे जीवन नाम निष्ठा बढ़े। हम अधिक से अधिक नाम जप सकें।
गोवर्धन पूजा में भगवान सभी बृजवासियों के द्वारा श्री गिरिराज जी की पूजा करवाते हैं। भगवान ही श्री गिरिराज जी के रूप में विराज रहे हैं। गिरिराज जी का दर्शन करने से भगवान के दर्शन का फल प्राप्त होता है। पूजन,छप्पन भोग, परिक्रमा से भगवान के भोग,पूजा और परिक्रमा का फल मिलता है।
कृष्ण गोविंद गोविंद गोपाल नंदलाल।
नाम महानिधि मंत्र, नाम ही सेवा पूजा।
जप तप तीरथ नाम, नाम बिनु और न दूजा।। कथा में श्री दिव्य सत्संग कार्यक्रम व्यवस्थापक श्री घनश्यामदास जी महाराज , श्री दिव्य सत्संग मंडल पदाधिकारी सहित सैकड़ों श्रद्धालुगण मौजूद थे। 


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