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भीलवाड़ा महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन का सामाजिक समरसता के साथ मनाया जन्मदिन।

भीलवाड़ा महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन का सामाजिक समरसता के साथ मनाया जन्मदिन।

  बिजयनगर (रामकिशन वैष्णव)   भीलवाड़ा हरी शेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर भीलवाड़ा के पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन का 63 वां जन्मोत्सव *सामाजिक समरसता दिवस* के रूप में 30 दिसम्बर 2023 शनिवार को मनाया गया। श्री हरि सिद्धेश्वर  महादेव मंदिर में भगवान शिव का रूद्राभिषेक, यज्ञादि  गौ पूजन, गुरुओं की समाधि पूजन सहित  विविध कार्यक्रम आयोजित किये गये। जरूरतमंदो को कम्बल व गर्म वस़्त्र वितरण किये गये। अन्न क्षेत्र की सेवा सम्पन्न हुई।
इस अवसर पर हरिशेवा वाटिका में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात्  तुलसी पूजन एवं शस्त्र तथा शास्त्र पूजन किया गया। इस अवसर पर लड्डू महाप्रसाद का भोग लगाया। आश्रम के संत मयाराम एवं संत गोविन्दराम द्वारा अतिथियो का तिलक लगाकर, रूद्राक्ष की माला के पश्चात्  शॉल ओढ़ा कर स्वागत किया गया। पूज्य संतो का सम्मान,पं. रोशन शास्त्री, पं. सत्यनारायण, पं. गौरीशंकर एवं ब्राह्मण मण्डली द्वारा स्वस्ति वाचन एवं मंत्रोच्चार द्वारा किया गया। जन्मोत्सव कार्यक्रम से एक घंटेपूर्व मुकुन सिंह राठौड़ एवम् उनके सहयोगियों द्वारा मंगलाचरण व हनुमान चालीसा पाठ  किया।
कार्यक्रम में सर्व सनातन समाज, समाजिक संगठनो एवम् सभी व्यवसायिक संस्थाओ तथा राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि एवं प्रबुद्धजन उपस्थित रहे तथा स्वामीजी के जन्म दिवस के साथ ही आश्रम के भक्त महेश नावानी एवं सेवादारी की पुत्री काजल मेनारिया का जन्म दिन भी साथ में मनाते हुए सामाजिक समरसता  को सार्थक किया। हंसगंगा हरिशेवा भक्त मण्डल द्वारा तैयार की गई स्वामीजी के जीवन पर आधारित लघु फिल्म का प्रदर्शन हुआ तथा ट्रस्टी पल्लवी वच्छानी द्वारा उनके जीवनी पर प्रकाश डाला गया एवं सुनीता नानकानी द्वारा काव्य पाठ किया। भावनगर की वासुराम दुःखभंजन दरबार से स्वामीजी के जन्मदिन पर गीत का विमोचन कर प्रसारित किया गया। 
स्वामी जी ने अपने भावपूर्ण उद्बोधन में कहा कि आज सनातन जाग रहा है और राजनीति में परिवारवाद समाप्ति की ओर अग्रसर है। मनुष्यों के मन से यदि जाति और पंथ का अंतर मिट जाये तो अखिल बृह्मांड  सनातन  ध्वज के नीचे होगा तथा  हमारा राष्ट्र पुनः विश्व गुरू के गौरव को प्राप्त करेगा। उन्होंने उपस्थित सर्व समाज के सदस्यो को यह संकल्प दिलाया कि *हमारी पहचान किसी जाति अथवा पंथ से न होकर केवल हिन्दू सनातनी के रूप में ही होनी चाहिए* । साथ ही उन्होंने *सनातन की रक्षा के लिए शस्त्र एवं शास्त्र के महत्व को भी बताया* ।
इस अवसर पर पधारे महामण्डलेश्वर,संत, महात्मा एवम् किन्नर अखाड़ा समागम तथा अनेक विप्रजन सम्मिलित हुए।
इस कार्यक्रम में  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्र के प्रौढ़ कार्य प्रमुख कैलाश चंद्र जी ने अपने उदबोधन में कहा कि मिट्टी जब साधारण अवस्था में होती हैं तो पानी उसे बहा कर ले जाता है परन्तु कुम्हार उसे तपाता है तो वह घड़े के रूप में पानी को भी बान्धने की ताकत रखता है ।इसी प्रकार मनुष्य जब संघर्षों की भट्टी में तपता है तो उसका व्यक्तित्व निखर जाता है सामाजिक समरसता आज की बड़ी आवश्यकता है  और सनातन संस्कृति ही विश्व मानवता का कल्याण कर सकती है और विश्व जगत उसकी और तीव्र गति से बढ़ रहा है श्री राजेन्द्र जी, श्री जयन्ती जी,श्री विजया नंद जी, श्री धनराज जी, श्री दीपक जी सहित अनेक प्रचारक तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक के सदस्यगण भी सम्मिलित हुए। एवं सामाजिक समरसता के नाम को सार्थक किया | सांयकाल मे भजन संध्या हुई, जिसमें रीवा के संत स्वरूप दास, संत हंस दास एवं इन्दौर के संत मोहनदास ,चंदन दास ने भजन की सरिता से सभी को भाव विभोर कर दिया। श्री वासुदेव देवनानी राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष भी महामंडलेश्वर से आर्शिवचन लेने पधारे उनका सनातन सेवा समिति द्वारा स्वागत किया गया।

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