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जो साथ में खाये, खेले उसे सखा कहते हैं= श्री दिव्य मोरारी बापू।

जो साथ में खाये, खेले उसे सखा कहते हैं= श्री दिव्य मोरारी बापू।

गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) स्थानीय सार्वजनिक धर्मशाला में चल रहे  श्रीदिव्य चातुर्मास सत्संग 
महामहोत्सव श्री मद्भभागवत कथा में कथा व्यास-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू ने सुदामा चरित्र पर वाचन करते हुए कहा कि भक्त शिरोमणि श्री सुदामा जी की मैत्री भगवान् श्री कृष्ण से थी। श्री सुदामा जी भगवान के मित्र थे। यह मित्रता भगवान से गुरुकुल में हुई थी। मित्र किसे कहते हैं? "सः खेलति खादति स सखा" जो साथ में खेले खाये उसे सखा कहते हैं। सखा शब्द का दूसरा अर्थ होता है- "सः ख्याति स सखा" जिसकी प्रसिद्ध साथ-साथ हो, उसे सखा कहते हैं। जैसे-श्रीकृष्ण-अर्जुन, 
श्रीकृष्ण -सुदामा। एक का नाम आने से दूसरे का नाम स्वतः आ जायें, उसे सखा कहते हैं। अथवा सखा उसे कहते हैं- मित्र शब्द में अक्षर दो हैं। लेकिन मित्र हृदय से एक ही होता है। श्रीमद्भागवत कथा में श्री दिव्य चातुर्मास संत्सग मंडल आयोजक घनश्यामदास जी महाराज, सत्संग मंडल अध्यक्ष अरविंद सोमाणी, एडवोकेट विजय प्रकाश शर्मा, नंदलाल काबरा, सुभाष चंद जोशी, रविशंकर उपाध्याय, सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे।

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