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अपने जीवन में जो कर्म किए हैं, उसका फल हमें भोगना चाहिए== श्री दिव्य मोरारी बापू

अपने जीवन में जो कर्म किए हैं, उसका फल हमें भोगना चाहिए== श्री दिव्य मोरारी बापू

गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) स्थानीय सार्वजनिक धर्मशाला में चल रहे  श्रीदिव्य चातुर्मास सत्संग 
महामहोत्सव  श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ कथा में कथा व्यास-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू  ने उद्धव-गोपी संवाद एवं  श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग पर वाचन किया। कथा में श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि
गोपियों का वापस जाते हुए उद्धव जी को संदेश- गोपियों ने मथुरा वापस जाते हुए उद्धव जी को संदेश दिया। गोपियों ने कहा कि- हमारा एक ही संदेश है। हमारी तरफ से श्री कृष्ण को प्रार्थना कर कह देना। श्री कृष्णा हमने अपने जीवन में जो कर्म किए हैं, उसका फल हमें भोगना चाहिए ।हम श्री  कृष्ण से यह नहीं कहती कि- हमारे पाप काट देना। हमने जो किया है उसका फल हमें भोगने देना। हमें कूकर, सूकर, 
कीट-पतंग कुछ भी बना देना, लेकिन साथ में इतनी प्रार्थना कर देना कि- कर्मानुसार शरीर चाहे जैसा भी मिले पर श्री कृष्ण भिक्षा गोपियों की झोली में डाल देना कि जैसी प्रीति इस समय है ऐसी ही प्रीति जन्म-जन्मांतर बनी रहे। कुछ भी हम बने लेकिन श्री राधा कृष्ण के श्री चरणों में प्रीति हमारी बनी रहे। गोपियों का भगवान श्री कृष्ण के प्रति प्रेम बहुत उच्च कोटि का है। सामान्य व्यक्ति समझ भी नहीं सकता।
श्रीमद्भागवत महापुराण में भगवान् श्रीकृष्ण की गोकुल लीला, वृंदावन लीला, मथुरा लीला, उसके बाद द्वारिका लीला का वर्णन आता है। द्वारका लीला में भगवान श्रीकृष्ण का महारानी रुक्मिणी के साथ विवाह होता है। आध्यात्मिक दृष्टि से भीष्मक महाराज समुद्र है, रुक्मिणी महारानी महाराज भीष्म के यहां उत्पन्न हुई, साक्षात् लक्ष्मी हैं। भगवान श्री कृष्ण साक्षात् नारायण है।श्री रुक्मिणी 
 जी का बड़ा भाई रुक्मी आध्यात्मिक दृष्टि से विष का स्वरूप है बुरा व्यक्ति ही समाज और परिवार के लिए विश्व रूप होता है रुक्मी ने ही महारानी रुक्मणी के विवाह में अर्चन लगाई थी। भगवान व्यास 
श्रीमद्भागवत महापुराण में भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं कहते कि किसी का हम अच्छा न कर सकें तो अवश्य करें ना कर सके तो कोई बात नहीं लेकिन बुरा तो नहीं ही करना चाहिए। रुक्मी के लाख व्यवधान करने के बाद भी भगवान श्री कृष्ण का 
श्री सिरकुनी जी के साथ बड़े धूमधाम से विवाह हुआ।कथा में इस दौरान श्री दिव्य सत्संग मंडल के आयोजक घनश्यामदास जी महाराज, सत्संग मंडल अध्यक्ष अरविंद सोमाणी, एडवोकेट विजय प्रकाश शर्मा, सुभाष चंद जोशी, नंदलाल काबरा, जगदीश शर्मा सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे।

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