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श्री राम कथा में श्री मोरारी बापू ने लंका विजय व श्री राम राज्यभिषेक प्रसंग पर विस्तृत वर्णन किया।

श्री राम कथा में श्री मोरारी बापू ने लंका विजय व श्री राम राज्यभिषेक प्रसंग पर विस्तृत वर्णन किया।

गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) स्थानीय सार्वजनिक धर्मशाला में चल रहे श्रीदिव्य चातुर्मास सत्संग 
महामहोत्सव  नवदिवसीय श्रीरामकथा ज्ञानयज्ञ में कथा व्यास-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू ने लंका विजय एवं श्रीराम राज्याभिषेक प्रसंग पर विस्तृत वर्णन करते हुए बताया कि
श्री राम ने पुष्पक विमान को अपने पास नहीं रखा। जिनकी कमाई उसके पास जाओ। न अपने पास रखा न विभीषण के पास रखा। कुबेर के पास भेज दिया विमान को। श्री राम के पूरे जीवन को पढ़ो, सुनो शास्त्रीय दृष्टि से तो पता लगेगा आपको। हम दूसरों की किताबें पढ़ते हैं, मन में संशय होने लगते हैं। अब भगवान ने उतने ही रूप बना लिए, जितने लोग सामने खड़े थे। भगवान श्री राम को समस्त अयोध्या वासियों से मिलना था। सबसे मिलना है एक क्षण में सबसे मिल लिए। भारत लाल चरणों में गिरे। भगवान ने उठाकर  गले लगा लिया। देवता पुष्प वर्षा कर बाजे बजाकर जय जयकार करते हैं। एक व्यक्ति को एक ही राम दिखता था। अंत में प्रभु सबसे पहले कैकई के यहां गये।
भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ। कौशल्यादि माता ने भगवान् श्रीराम की आरती की। ये रघुकुल कमल के लिए सूर्य के समान है। संसार में हर क्रिया का दो प्रकार से असर होता है, अनुकूल और प्रतिकूल। कहते हैं राम के राजा होने से कुछ लोगों को दुःख हुआ और बहुतों को खुशी हुई। दुःख किसको हुआ? अविद्या रूपी रात्रि राम को देखते ही भाग गयी। काम, क्रोध रूपी कुमुद कुमुदिनी सकुचाये। पाप रूपी उलूक जाकर छिप जाते हैं। सूरज के प्रकाश में उल्लू, चमगादड़ अंधेरे में जाकर छिप जाते हैं। जब राम राजा बनकर बैठे तो व्यक्तियों के पाप भाग गये, छुप गये जहां-तहां। कथा में श्रीदिव्य सत्संग मंडल अध्यक्ष अरविंद सोमाणी, सुभाष चंद जोशी, रामेश्वर दास, एडवोकेट विजय प्रकाश शर्मा, मधुसूदन मिश्रा, नंदलाल काबरा सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे।

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