धुंवालिया में चार दिवसीय तेजाजी महाराज के खेल महोत्सव का तेजाजी चोक मे समापन हुआ
गंगरार| गंगरार उपखंड के धुंवालिया में चार दिवसीय तेजाजी महाराज के खेल महोत्सव का तेजाजी चोक मे समापन हुआ। जिसमे लोक देवता के रूप में पूजे जाने वाले महाराजा वीर तेजाजी के विषय में कलाकारों द्वारा अपने अंदाज एंव कलाकृतियों द्वारा समझाया एंव बताया कि तेजाजी महाराज धौलाराव के नाम पर धौल्य गोत्र अर्थात नागवंश धावलाराव के गोत्र हैं। वीर तेजाजी महाराज के पूर्वज उदय राज ने अपना कब्जा खेड़ा नाल पर कर लिया और इसे अपनी राजधानी बनाई। उदय राज के द्वारा बनाए गए राजधानी में कुल 24 गांव मौजूद थे। वीर तेजाजी महाराज ने अपनी कृपा से लोगों की डाकुओं से रक्षा की और अपने प्राणों को दांव पर लगाकर इन लोगों की रक्षा की है वीर तेजाजी महाराज खरनाल गांव के निवासी थे
वीर तेजाजी महाराज सदैव गौ सेवा में जुटे रहते थे और इन्होंने गायों को माता के समान माना।
पहली बार वीर तेजाजी महाराज ने कृषकों को बताया कि अपने खेतों को हल की मदद से अच्छे से खोदकर बीज को बोआ कीजिए। पहले जो बीज केवल खेतों को उछाल कर दिया जाता था, उन्हीं बीजों को महाराज तेजाजी ने हल की मदद से जमीन के अंदर खोदकर बोने का उपाय सुझाया।
हीरा गुर्जरी की गायों को मीणा से मुक्त करवाया।
यही कारण है कि वीर तेजाजी महाराज के मंदिरों में अलग-अलग वर्गों के पुजारी कार्यरत हैं, अतः समाज सुधार में इतना पुराना और कोई उदाहरण नहीं है। ऐसा भी कहा जाता है कि महावीर तेजाजी महाराज जी विश्व के पहले समाज सुधारक हैं। महावीर तेजाजी की महाराज ने जनसाधारण वर्ग के लोगों के हृदय में हिंदू धर्म के प्रति विशेष युक्ति के विश्वास को पुनः जागृत किया गया
वीर तेजाजी महाराज का विवाह अजमेर जिले के पनेर नामक गांव में रहने वाले जाट परिवार में हुआ था। जिसमें समस्त ग्रामवासियों द्वारा श्री वीर तेजा मंडल के कलाकारों का दुपट्टा पहना कर स्वागत किया गया एंव में प्रसाद वितरण कर किया गया।