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एक करोड़ की लागत से बनी स्वामी रामदयाल धर्मशाला का जगदगुरू ने किया लोकार्पण

एक करोड़ की लागत से बनी स्वामी रामदयाल धर्मशाला का जगदगुरू ने किया लोकार्पण

 

शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी|| रामस्नेही संप्रदाय के फूलड़ोल महोत्सव के चर्तुथ दिवस शुक्रवार को देशभर से रामस्नेही अनुरागियों का आना अनवरत जारी है। आज महोत्सव अपने पूर्ण यौवन पर पहुंच गया है। पंरपरागत तरीके से राजशाही शोभायात्रा निकाली गयी। रामनिवास धाम परिसर में एक करोड़ रू की लागत से नवनिर्मित स्वामी रामदयाल धर्मशाला का लोर्कापण संप्रदाय के पीठाधीश्वर जगदगुरू स्वामी रामदयालजी महाराज ने फीता खोल व राम नाम लिखकर किया। इस धर्मशाला में विशाल सभागार व 38 कमरों का निर्माण सभी सुविधाओं युक्त किया गया है।



यहां न्यासी जगदीश सोमाणी व अनिल लोढ़ा ने आचार्यश्री के पहुंचने पर पधरावणी करायी। सोमाणी ने कहा कि रामनिवास धाम के विस्तार के लिए यह धर्मशाला जरूरी व उपयोगी है। इस मौके पर संप्रदाय के संत रामनारायणजी, संत रमतारामजी, संत जगवल्लभराम सहित अन्य संतों की मौजूदगी में आचार्यश्री की चरण वंदना व आारती वंदना की। आचार्यश्री ने इस मौके पर चार नये कमरों में प्रवेश कर वहां राम नाम अंकन किया। आचार्यश्री ने कहा कि धर्मशाला का विस्तार से आगे भी जारी रहेगा।

आचार्यश्री ने बताया कि महोत्सव के दौरान बाहर से आने वाले भक्तों की सुविधा के लिए धर्मशाला जरूरी है। प्रथम चरण का कार्य पूर्ण होने पर अब दूसरे चरण का कार्य प्रांरभ कराया जायेगा। इसकी कार्ययोजना के लिए संत जगवल्लभराम को निर्देशित किया गया है। 


राम नाम के साथ राष्ट्रहित सर्वोपरी- जगदगुरू रामदयालजी

महोत्सव के दौरान रात्रिकालीन धर्मसभा में रामस्नेही सम्प्रदायाचार्य अनन्त श्रीविभूषित जगतगुरू स्वामीजी श्री रामदयालजी महाराज ने राम व राष्ट्र पर अपना चिन्तन देते हुए कहा कि महाप्रभु रामचरणजी महाराज ने आज से ढाई सो वर्ष पूर्व ही अपने अनुभवों के आधार पर अनुभव वाणी दे दी थी, उसके बताये मार्ग पर चलने पर ही राष्ट्र का कल्याण हो सकेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि राष्ट्रहित सर्वोपरी है पर उसके लिए भी उस व्यक्ति में राम तो होना चाहिए। 



महाप्रभु रामचरणजी महाराज की वाणी ग्रंथ महान है। इसे अपने घरों में लाएं। सुबह शाम के समय वाणी का पाठ करेंगे तो आपका घर और आपका परिवार धन्य हो जाएगा। महापुरुष केवल बोलते नहीं, कृपा दृष्टि भी डालते हैं। नारायण भगवान सत्य हैं। सत्संग ही सत्य है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मां अपने बच्चों का ध्यान रखती है, वैसे ही भक्ति करने पर परमात्मा भी अपने भक्तों का ध्यान रखते हैं। अगर जीवन के दोष है तो इसे खत्म करने के लिए सत्संग में आओ। महापुरुषों के दर्शन मात्र से ही सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति हो जाती है।

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