प्रतिभा सम्मान आत्मीयता का प्रतीक है हम सब और हमारी घुमंतू जातियां हम सभी एक हैं- दुर्गा दास
बुधवार, 8 फ़रवरी 2023
शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी
घुमंतू जाति उत्थान न्यास द्वारा घुमंतू समाज का प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर घुमंतू जाति उत्थान समिति के अखिल भारतीय कार्य प्रमुख दुर्गा दास, प्रान्त प्रमुख प्रभुलाल एवं घुमंतू समाज के लिए बनी जन अधिकार समिति चित्तौड़ प्रांत संयोजक कालू लाल बंजारा उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ एक नन्ही भील बालिका, 9 वर्षीया, कुमारी काली सपेरा निवासी लादू वास के गीत तेरा प्यारा हिंदुस्तान, हो इस पे बार-बार कुर्बान से हुआ। समाज की जिन प्रतिभाओं का सम्मान किया गया उनमें शाहपुरा की कुमारी चंपा गाड़ोलिया ने कक्षा 10 की परीक्षा में 91ः अंक प्राप्त कर घूमन्तू जाति के बीच समूचे भीलवाड़ा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। खेल कूद के क्षेत्र में राज्य स्तर पर वॉलीबॉल में अंकित बंजारा, क्रिकेट में ईश्वर नाथ, कबड्डी में रतन सांसी, बैडमिंटन में मधु बंजारा आदि प्रमुख रहे। जिला स्तर पर कबड्डी में अनीता बंजारा, शिक्षक पात्रता परीक्षा में उत्तीर्ण प्रहलाद गाडोलिया, कोरोना के समय उत्कृष्ट कार्य हेतु सोहनलाल बागरिया, राजू गाडोलिया, राजकुमार मालावत, आवास व्यवस्था में सराहनीय कार्य के लिए डाली बाई व अन्य को श्री बाबा रामदेव जी की प्रतिमा देकर और उपरणा पहनाकर सम्मानित किया गया। सभी विद्यार्थियों को स्कूल बैग एवं किट का वितरण भी किया गया।
प्रतिभा सम्मान समारोह में मुख्य वक्ता दुर्गा दास ने अपने विचार रखते हुए कहा कि प्रतिभा सम्मान केवल श्अर्थ श् में नहीं है वरन् यह आदर और सम्मान के भावों का प्रकटी करण है। घुमंतू समाज के बारे में बतलाते हुए उन्होंने कहा कि सदियों पहले सर्व समाज की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु समाज का ही एक बड़ा वर्ग सदैव घूम-घूम कर सभी की आवश्यकताएं पूरी किया करता था। जिनमें जंगल की औषधियां, पशुपालन, हथियारों ध्युद्ध की सामग्री का परिवहन, देवताओं के फड, मनोरंजन आदि के सामान मुख्य हुआ करते थे। किसी एक स्थान पर दो-चार दिन रह कर वहां से अन्यत्र स्थानों पर चले जाना ताकि देश के सभी भागों की व्यवस्था समान रूप से चलती रहे, यह इन सभी जातियों का कार्य हुआ करता था। यह सभी परिश्रमी, स्वाभिमानी, धर्म निष्ठा युक्त एवं देशभक्त हुआ करते थे। देश-धरम पर संकट होने पर स्वयं हथियार लेकर लड़ना इनके स्वभाव में था। रानी लक्ष्मीबाई के युद्ध में इनका सहयोग जग विदित है किंतु खेद है कि ऐसी वीर प्रजाति को पाठ्य पुस्तकों में पर्याप्त स्थान नहीं मिला इस कारण हमारी वर्तमान पीढ़ी इनके द्वारा किए गए श्रेष्ठ कार्यों से सदैव अपरिचित रही। इसके विपरीत रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान के बाद अंग्रेजों ने इन जातियों को कानून बना कर अपराधी घोषित कर दिया और सोचा समझा षड्यंत्र रचा ताकि उनके मार्ग का कांटा निकल जाए। अंग्रेजो के जाने के बाद भी इन जातियों को इसी प्रकार हेय दृष्टि से देखा गया।
घुमंतू जाति उत्थान न्यास, इस ओर अभावों और अशिक्षा के क्षेत्र में जी रहे लोगों को सहारा देने के लिए बना एक संगठन है। आप हमारे हैं और हम आपके हैं। हम सबके बीच बंधुत्व भाव का रिश्ता है। हम एक ही परिवार के लोग हैं, जो जरूरत में एक दूसरे को सहयोग करते हैं। घुमंतू समाज के अधिकारों की प्राप्ति हेतु हम सदैव समाज के साथ खड़े हैं। घुमंतू समाज के लिए आधार कार्ड,वोटर कार्ड, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, बालिका उत्थान जैसे विषयों में योजना बनाकर समाज के लिए प्रयासरत हैं। एक बहती हुई नदी के दो किनारों पर, जहां एक और घुमंतू समाज जिसे आवश्यकता है, और दूसरी और सरकारी सुविधाएं, जो उस समाज के लिए बनी है, को उपलब्ध करवाने वाले सरकारी अधिकारी, यह संस्था दोनों के बीच में एक नाव का काम करेगी और संबंधित सुविधाओं को समाज के लोगों के पास ले जाकर मुहैया करवाएगी। बाबा साहेब आंबेडकर ने कहा है कि एक रोटी कम खाओ और पढ़ो खूब। इसी ध्येय वाक्य को समाज को भी अपनाना होगा।
घुमंतू समाज के परंपरागत तरीकों को नई तकनीकी से जोड़ना होगा। शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी कार्य जैसे प्लंबर, वेल्डर, रिपेयरिंग कार्य तथा इसी तरह के अन्य कार्य, उनको यह संस्था सिखाएगी और समाज को समर्थ बनने में सरकारी योगदान को भी मुहैया करवाएगी। साथ ही साथ कुछ चुनौतियों से भी निपटना होगा। विभिन्न मिथ्या चमत्कारों के चलते धर्मांतरण में प्रयासरत लोगों का साथ छोड़ना ही होगा । ऐसे लोग हमारे घुमंतू समाज में नहीं घुस पाएं यह देखना होगा । घुमंतू समाज के कमजोर से कमजोर परिवार को भी सक्षम बनाना होगा। इस दृष्टि से बीकानेर (राजस्थान) में कन्या छात्रावास अभी आरम्भ हो गया है । भीलवाड़ा में भी एक छात्रावास के प्रयास चल रहे हैं।।
कार्यक्रम में समाज के सबसे पहले शिक्षक श्री सोहन लाल बागरिया की उपस्थिति भी प्रेरणादायक रही। कार्यक्रम का संयोजन अक्षय शर्मा एवम् संचालन राजेंद्र विजयवर्गीय ने किया जन अधिकार समिति चित्तौड़ प्रांत संयोजक कालू लाल बंजारा ने आभार व्यक्त किया।
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