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*महिलाओं के अधिकारों के लिए सरकार संवेदनशील- रेहाना रियाज* *-राज्य महिला आयोग अध्यक्ष ने चित्तौड़गढ़ में की जनसुनवाई*

*महिलाओं के अधिकारों के लिए सरकार संवेदनशील- रेहाना रियाज* *-राज्य महिला आयोग अध्यक्ष ने चित्तौड़गढ़ में की जनसुनवाई*

राशमी (चित्तौड़गढ़) संवाददाता कैलाश चन्द्र सेरसिया 

महिला आयोग आपके द्वार अभियान के तहत राज्य महिला आयोग अध्यक्ष रेहाना रियाज ने सोमवार को जिला कलक्ट्रेट स्थित ग्रामीण विकास सभागार में जनसुनवाई की। लगभग तीन घंटे तक चली जनसुनवाई में 21 मामले सामने आए। इनमें दहेज प्रताड़ना की शिकार तीन बेटियों की मां ने आपबीती सुनाई तो राज्य महिला आयोग अध्यक्ष ने हाथोंहाथ एडिशनल एसपी को संबंधित थानाधिकारी और जांच अधिकारी को फोन कर तुरंत कार्रवाई करने और महिला को राहत दिलावाने के निर्देश दिए। इसी प्रकार पति के विवाहेतर संबंध और प्रताड़ना से व्यथित एक महिला के मामले में तुरंत एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए। जनसुनवाई के बाद राज्य महिला आयोग अध्यक्ष ने शंभूपुरा गांव का भ्रमण किया। यहां महिलाओं से मिलकर उनकी समस्याओं को सुना और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। 
इससे पहले अतिरिक्त जिला कलक्टर गितेश श्री मालवीय ने जनसुनवाई एवं बैठक में राज्य महिला आयोग अध्यक्ष रेहाना रियाज चिश्ती, सदस्य सुमन यादव, सचिव सत्येंद्रपाल, उप सचिव कमल सिंह यादव, न्यायाधीश अयूब खान को पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया। 
*उम्मीद टूटती है, तो इंसान टूट जाता है*
 जनुसनवाई के बाद उपस्थित जिला स्तरीय अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी महिला अपने घर की चौखट से निकलकर सरकारी कार्यालय तक आती है, तो बहुत हिम्मत जुटाकर आती है। यदि कोई महिला परेशानी में है और आपर्क कार्यालय में आती है, तो सबसे पहले उसकी समस्या को सुनना चाहिए और मानवीय दृष्टीकोण के साथ उसकी समस्या का निराकरण करना चाहिए। महिलाएं बहुत उम्मीद लेकर आती है आपके पास, यदि उम्मीदें टूटती हैं, तो इंसान टूट जाता है। हर काम जयपुर से नहीं हो सकता, महिलाओं को छोटे-छोटे कामों के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पडे़। महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को लेकर राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति है और इसका प्रभाव धरातल पर नजर भी आना चाहिए। 
*पुलिस किसी के दबाव में न आए*
 पुलिस अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि देर से मिलने वाला न्याय भी अन्याय होता है। नाता प्रथा, झगड़ा प्रथा और डाकन प्रथा जैसी कुरीतियों से सख्ती से निपटना होगा। महिलाओं पर होने वाले अपराधों के मामलों में अतिरिक्त सतर्कता और संवेदनशीलता बरतें। एफआईआर दर्ज करने में ढिलाई नहीं होनी चाहिए। किसी एक अधिकारी की लापरवाही की वजह से पूरे विभाग को बदनामी झेलनी पड़ती है। किसी भी तरह के दबाव में आने की जरूरत नहीं है। किसी बेगुनाह को सजा न मिले और गुनाहगार कोई छूटना नहीं चाहिए। समाज में कुप्रथाओं को दूर करने के लिए एनजीओ, कॉलेज विद्यार्थी और सामाजिक संगठनों को साथ लेकर अभियान चलाना चाहिए। 
*एक अभिनव प्रयास है महिला आयोग आपके द्वार* 
 ग्रामीण विकास सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता में पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए राज्य महिला आयोग अध्यक्ष ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की प्रेरणा से राज्य में महिला आयोग आपके द्वार कार्यक्रम चलाया जा रहा है। कई बार महिलाएं अपनी बात कह नहीं पाती और अंदर ही अंदर घुटती रहती हैं। इसलिए महिला आयोग खुद चलकर महिलाओं के बीच जा रहा है और उनकी समस्याओं को समझकर निस्तारण का प्रयास कर रहा है। इस काम में मीडिया का भी महŸवपूर्ण योगदान हो सकता है। महिलाओं से जुड़ी समस्याओं के समाधान में मीडिया सकारात्मक भूमिका निभाकर बड़ा बदलाव ला सकता है। यदि महिलाएं सशक्त होंगी, तो समाज मजबूत बनेगा और मजबूत समाज से देश आगे बढ़ेगा। अपहरण, दुष्कर्म, हनी ट्रेप के बढ़ते मामलों से संबंधित सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि आजकल आपसी रंजिश और दुर्भावना के चलते भी कई बार पुलिस में एफआईआर दर्ज करवा दी जाती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सारे ही मामले झूठे होते हैं। पुलिस की यह जिम्मेदारी है कि वो कानून के दायरे में रहकर अपराधियों को सजा दिलवाएं और किसी भी बेगुनाह को सजा न हो। झूठे मुकदमे दर्ज करवाने पर कानून के मुताबिक कार्रवाई करनी चाहिए।

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