-->
सच्चे पिता वही कहे जा सकते है जो संतान को सही मार्ग दिखाते हैं! ==श्री मुनि मा. सा.

सच्चे पिता वही कहे जा सकते है जो संतान को सही मार्ग दिखाते हैं! ==श्री मुनि मा. सा.

गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) 
    धार्मिक संस्कार जागरण शिविर के पांचवें दिवस पर उपाध्याय प्रवर श्री प्रियदर्शन मुनि जी महाराज सा. ने फादर्स डे के अवसर पर संयम की महत्ता को प्रकट करते हुए फरमाया कि सच्चे पिता वही कहे जा सकते हैं जो अपनी संतान को संसार का नहीं संयम का मार्ग दिखाते हैं भोग का नहीं योग का मार्ग दिखाते हैं वासना का नहीं साधना का मार्ग दिखाते हैं संसार की सत्यता से अवगत कराते हैं वह अपनी संतान के एकांत हितेषी हैं क्योंकि संसार के भोग किंपाक फ़ल के समान कहे गए हैं जो बाहर से बड़े आकर्षक और स्वादिष्ट दिखते हैं मगर उनको खाने का परिणाम मृत्यु को प्राप्त करना होता है इसी के विपरीत संयम का स्वाद भले ही रुखा लगे मगर परिणाम में अत्यंत सुख साता और समाधि देने वाला होता है संयम के सुख को शब्दों में प्रकट नहीं किया जा सकता है वो तो अनुभव ही किया जा सकता है जिस प्रकार गूंगा व्यक्ति गुड खाने पर उसके स्वाद को प्रकट नहीं कर सकता है।
 भगवान ऋषभदेव ने एक सच्चे पिता के उत्तरदायित्व को निभाया था उन्होंने अपने पुत्रों को जो राज्य के संघर्षरत थे उनको समझाया कि तुम ऐसे राज्य के लिए झगड़ रहे हो जिसे कोई भी छीन सकता है मैं तुम्हें ऐसे राज्य के बारे में बताता हूं जिसे किसी के द्वारा छीना नहीं जा सकता है वो राज्य है संयम का राज्य वो राज्य है मुक्ति का राज्य तुम उस राज्य को प्राप्त करो भगवान के समझाने पर उन्होंने संयम लेकर मुक्ति का राज्य प्राप्त कर लिया। 
पूज्य श्री सोम्य दर्शन मुनि जी महाराज सा. ने फरमाया कि वित्तविचार वस्तु या व्यक्ति की संपत्ति से भी बढ़कर वैराग्य की संपत्ति को पाने का प्रयास करो सत्य के प्रति अनुराग रखना वैराग कहलाता है सत्य क्या है जो सदा शाश्वत रहता है जो कभी मिटता नहीं है वो है अपनी आत्मा यानी अपनी आत्मा के प्रति अनुराग रखो और जैसे हमारी आत्मा है उसी प्रकार संसार के समस्त प्राणियों में भी वोही आत्मा है अतः हमें प्राणी मात्र के प्रति अनुराग प्राणी मात्र से प्रेम रखने का प्रयास करना चाहिए अतः अपने राग को जो सीमित है घरवालों से परिवार वालों से धन संपत्ति से उसको असीम करने का विस्तृत करने का अनुराग में बदलने का जो प्राणी मात्र से हो ऐसा प्रयास करना चाहिए अगर ऐसा प्रयास और पुरुषार्थ रह पाया तो हम अपने अमूल्य मानव जीवन को सार्थक करने की दिशा में अग्रसर हो सकेंगे।

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article