धनोप शक्तिपीठ स्तुति गान: धनोपादेव्याःस्तवनम् मां को समर्पित
धनोप मां न केवल चामत्कारिक वरन प्रत्येक का दुःख हरने वाली- राणावत
शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी|| मेवाड़ में ख्यातनाम धनोप शक्तिपीठ की आराधना अब देवभाषा संस्कृत में भी होगी। यह स्तुति घर-घर में गायी जाए इसके लिए भीलवाड़ा के वरिष्ठ पत्रकार महेश ओझा के प्रयासों से तैयार धनोपादेव्याःस्तवनम सादे समारोह में मां के चरणों में समर्पित कर जन-जन के लिए सार्वजनिक किया गया। संस्कृत छन्दशास्त्र के ज्ञाता भोपाल के राजकीय रामानंद संस्कृत महाविद्यालय में प्रोफेसर डा. लक्ष्मीनारायण पाण्डेय ने इसकी रचना की है। इसे छोटी सी पुस्तक के रूप में भी तैयार कराया गया है। धनोप में जगह-जगह फ्लेक्स भी लगाये गये है। अब धनोप मां की स्तुति इसी के माध्यम से होगी।
श्रीधनोप शक्तिपीठ प्रन्यास के अध्यक्ष सत्येंद्रसिंह राणावत, सचिव रमेश दाधीच, राष्ट्रीय कवि डा. कैलाश मंडेला, संचिना कला संस्थान के अध्यक्ष रामप्रसाद पारीक, जीव दया सेवा समिति के संयोजक अत्तू खां कायमखानी, शिक्षाविद महावीरप्रसाद दीक्षित, पार्षद राजेश सौंलकी, प्रेस क्लब शाहपुरा के महासचिव मूलचन्द पेसवानी ने विधिविधान से पूजा अर्चना कर धनोपादेव्याःस्तवनम को मां के चरणों में समर्पित किया तथा मां को यह पाठ करके भी सुनाया।
बाद में सभी अतिथियों ने स्तवनम की छोटी पुस्तक, हेंडबिल, फ्लेक्स का लोकार्पण कर इसे सार्वजनिक कर दिया। अब इसे कोई भी अपने स्तर पर प्रकाशित प्रसारित कर सकेगा। यह धनोप मन्दिर कार्यालय में उपलब्ध है।
इस मौके पर प्रन्यास अध्यक्ष राणावत ने कहा कि देवभाषा में स्तुति गान से धनोप मातेश्वरी सबका कल्याण करेगी। यह शक्तिपीठ न केवल चामत्कारिक है वरन यहां पहुंचने वाले प्रत्येक भक्त के दुःख भी हर लेती है। उन्होंने कहा कि यहां के कार्ययोजना के तहत मन्दिर का निर्माण कार्य चल रहा है। समय की मांग के अनुसार सभी सुविधाएं मुहैया कराने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि डा. लक्ष्मीनारायण पाण्डेय द्वारा रचित यह स्तुति गान महेश ओझा द्वारा प्रयास करके जो सार्वजनिक किया गया है, इसे मंदिर कार्यालय में उपलब्ध कराया गया है कोई भी वहां से प्राप्त कर सकेगा तथा इसका अपने स्तर पर प्रकाशन व प्रसारण कर सकेगा। उन्होंने कहा कि इसे नियमित रूप में मन्दिर में भी प्रतिदिन प्रसारित कराया जायेगा।
महेश ओझा ने सभी का स्वागत करते हुए श्लोकबद्ध धनोपादेव्याःस्तवनम् की रचना के लिए डा. लक्ष्मीनारायण पाण्डेय का आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि इसे जन-जन तक पहुंचाने का कार्य हमारा है। इसे विभिन्न माध्यमों से प्रयास किया जायेगा। उन्होंने धनोप मां के गुणों का बखान करते हुए कहा कि स्तुति गान में धनोप के इतिहास का समावेश व मां के प्रत्येक स्वरूप् का गुणगान महत्वपूर्ण है। नियमित पाठ करने से मां अपने भक्तों का भला करेगी। उन्होने बताया कि पाण्डेय ने सरस एवं सरल भाषा में संस्कृत श्लोकों की रचना की। भुजंगप्रयात छन्द में आबद्ध धनोपादेव्यष्टकम् का माधुर्य देवीभक्तों के लिये कंठहार-तारणहार बन सकेगा। यह जन-जन तक पहुँच सके इसके लिये मेरे वरिष्ठ पत्रकार साथी मूलचन्द पेसवानी के सुझाव पर इसे पुस्तिका के रूप में भी प्रकाशित करा दिया है।
राष्ट्रीय कवि डा. कैलाश मण्डेला ने धनोप मां शक्तिपीठ प्रदेश में ख्यातनाम बताते हुए कहा कि हम सबका दायित्च है कि इसकी महिमा का बखान करे। महेश ओझा के सद्प्रयासों से एक कड़ी जोड़ी गयी है। धनोप मां सबके दुख हरने वाली है। धनोपादेव्याःस्तवनम् जन-जन तक पहुँच सके इसके लिए सभी को प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नवरात्र में धनोप में होने वाले महोत्सव में देश के कोने-कोने से भक्तों का पहुंचना ही खुशनुमा तस्वीर को पेश करता है। पार्षद राजेश सौंलकी ने कहा कि स्तुति को घर-घर तक पहुंचाया जायेगा तथा सबके कल्याण इसके माध्यम से होगें।