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अध्यापिका बनी जुनुन, लगन और समर्पण की जीवंत उदाहरण

अध्यापिका बनी जुनुन, लगन और समर्पण की जीवंत उदाहरण

अध्यापिका बनी जुनुन लगन और समर्पण की जीवंत उदाहरण

अपने हूनर व कलाकारी से अध्यापिका ने फूंक दी विद्यालय में जान
 स्वयं के खर्चे से विद्यालय भवन को बनाया आकर्षक, मनमोहक

चित्तौड़गढ़ @रतन हंसराज
कोविड काल की नकारात्मकता से बच्चे व बड़े सभी आशंकित व भयभीत थे।
 इसी आशंकित विचारों को दूर करने तथा विद्यार्थियों को सकारात्मक संदेश देने के साथ-साथ विद्यालय के वातावरण को आकर्षक, सृजनशील, रोचक तथा प्रिंट-रिच बनाने में एक पहल करते हुए रा बा मा वि धनेतकलां की लेवल- प्रथम अध्यापिका हेमलता शर्मा द्वारा किये गये नवाचार की सभी ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की व प्रोत्साहित किया।

कार्यवाहक प्रधानाध्यापिका ललिता मेनारिया ने बताया कि "चल ऐ नजरी इस तरह कारवाँ के साथ, जब तू न चल सके तो तेरी दास्ताँ चले" उक्ति को चरितार्थ करते हुए विद्यालय की अध्यापिका हेमलता शर्मा ने इस नवाचार को मूर्त रूप देने के लिए स्वयं द्वारा संसाधन जुटा कर स्वयं के खर्चे पर एक मुहिम के तौर पर कार्य किया तथा लगभग 20 दिनों में विद्यालय का सौन्दर्यीकरण करने में प्रतिदिन चार से पाँच घंटे मशक्कत करते हुए विद्यालय की दिवारों पर शिक्षाप्रद, रौचक व प्रेरणास्पद चित्रकारी से विद्यालय को सुसज्जित किया। अध्यापिका की पहल के बाद विद्यालय सहकर्मियों ने भी भरपूर सहयोग देकर प्रोत्साहित किया। 
अध्यापिका द्वारा अपने इस कार्य से संतुष्ट होकर आगामी कार्ययोजना में कक्षा कक्षों को शिक्षण सहायक सामग्री से समृद्ध बनाने की पहल करने की योजना रखी। 
 उल्लेखनीय हैं कि अध्यापिका हेमलता शर्मा द्वारा इससे पूर्व भी अपने पूर्व के पदस्थापित स्वामी विवेकानन्द राजकीय माॅडल स्कूल भदेसर व प्राथमिक विद्यालय गाडरियों की ढाणी विद्यालयों में भी इस तरह के नवाचार कर विद्यालय को सुसज्जित किया 
जहाँ उनके बनाए गए चित्रों ने विद्यार्थियों एवं ग्रामवासियों को आकर्षित किया। 

मेवाड़ न्युज चित्तौड़गढ़ से रतन हंसराज

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